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एस ऑफ कप्स


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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



अच्छा स्वास्थ्य, प्यार, खुशी, सुंदरता, नए रिश्ते, करुणा, रचनात्मकता

यह कार्ड अत्यंत पवित्र और सकारात्मक कार्ड है। जो आपको अच्छा स्वास्थ्य देता है। आपको आपका प्यार, खुशी मिलेगी। आपके चेहरे की सुंदरता निखरकर आएगी। इस वक्त नए रिश्ते तैयार होंगे। आपके स्वभाव में ही सभी के लिए करुणा होती है, हाँ उसका आप प्रदर्शन नहीं करते।आपके अंदर रचनात्मकता है। आपको किसी प्रकार के कला में ट्रेनिग लेकर करियर करना चाहिए। हो सकता है आप बहोत सालों से कुछ कला सीखने का मन रखते हों लेकिन किसी ठोस नतीजे तक नही पहुंचे। अब वक्त आ गया है कि कुछ नया किया जाए।

रिवर्स भविष्य कथन



अहंकार, स्वार्थ, झिझक, आत्म-प्रेम, अंतर्ज्ञान, दमित भावनाएँ

आप अहंकारसे दूर ही रहते हैं। ना आपमें स्वार्थ की कोई झलक है।अपने आप की बात करते वक्त उल्टा आपको झिझकमहसूस होती है।आपको सीमीत रूप से आत्म-प्रेम जरूर है। लेकिन आपका अंतर्ज्ञान आपकी दमित भावनाएँ बाहर निकालने में कामयाब जरूर हो जाता है।

एस ऑफ कप्स

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु

दाहिना हाथ आसमान से निकल रहा है जिस पर पीला कप है। पाँच जलधाराएँ बाहर निकल रही हैं, दो सामने से और तीन पीछे से हैं। प्याले के उपर सफेद कबूतर + चिन्ह के साथ एक सफेद सिक्का डालने की कोशिश कर रहा है। तालाब में पत्तों के साथ बारह कमल हैं।

पूरे 'माइनर आर्काना - कप' सेक्शन में तीन तरह के कप दिखाए हैं।

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1. एस ओफ द कप

2. क्वीन ओफ द कप

3. ऊपर वर्णित दो के अलावा अन्य सभी कप।

कप तीन प्रकार के क्यों हैं? कोई नहीं जानता।

'क्वीन ओफ द कप' स्टार ट्रेक-के किसी गैजेट की तरह है। इसे किसी भी एंगल से 'कप' नहीं कहा जा सकता। ('क्वीन ओफ द कप' का ग्रंथ के दूसरे हिस्से में विस्तार से स्पष्टीकरण दिया गया है।)

भारतीय संस्कृति में पश्चिमी शैली के कप 'वाइन या बार ग्लास' के रूप में देखा जाता है। नीचे विभिन्न प्रकार के पश्चिमी संस्कृति के ग्लास हैं।

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भारतीय घर में इन्हे शराब के प्याले माना जाता है और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार इसे घर में रखना अनुचित समझा जाता है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु :


कप के मूल रूप को 'मंगल कलश' के नाम से जाना जाता है।

'मंगल कलश' देवी लक्ष्मी का प्रतीक है। मंगल का अर्थ है पवित्र, कलश का अर्थ है एक विशिष्ट बर्तन। मंगल कलश में कई चीजें एक साथ होती हैं।

आधा लीटर पानी एक 'तांबे' के बर्तन में रखा जाता है। फिर नारियल के साथ आम के पांच पत्ते रखे जाते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। नारियल पर एक पवित्र धागा बांधा जाता है।

इस कार्ड में बैकग्राउंड में माता लक्ष्मी हैं। कलश के माध्यम से दो सफेद हाथी (ऐरावत) पानी डाल रहे हैं।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड ग्यारह कमल दिखाता है, पाँच बाईं ओर और 6 दाईं ओर। इसके अतिरिक्त, चार गांठें बाईं ओर हैं। माता जी एक बहुत बड़े कमल के फूल में विराजमान होती हैं। प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु

कप के मूल रूप को 'मंगल कलश' के नाम से जाना जाता है।

'मंगल कलश' देवी लक्ष्मी का प्रतीक है। मंगल का अर्थ है पवित्र, कलश का अर्थ है एक विशिष्ट बर्तन। मंगल कलश में कई चीजें एक साथ होती हैं। आधा लीटर पानी एक 'तांबे' के बर्तन में रखा जाता है। फिर नारियल के साथ आम के पांच पत्ते रखे जाते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। नारियल पर एक पवित्र धागा बांधा जाता है।

इस कार्ड में बैकग्राउंड में माता लक्ष्मी हैं। कलश के माध्यम से दो सफेद हाथी (ऐरावत) पानी डाल रहे हैं।प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड ग्यारह कमल दिखाता है, पाँच बाईं ओर और 6 दाईं ओर। इसके अतिरिक्त, चार गांठें बाईं ओर हैं। माता जी एक बहुत बड़े कमल के फूल में विराजमान होती हैं।

मंगल-कलश समुद्र मंथन का भी प्रतीक है। सुख और समृद्धि के प्रतीक कलश का शाब्दिक अर्थ है- घड़ा। जल को हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है। अत: पूजा घर में इसे रखा जाता है। इससे पूजा सफल होती है। यह कलश उसी तरह निर्मित है जिस तरह की अमृत मंथन के दौरान मदरांचल को मथकर अमृत निकाला था। जैसे जटाओं से युक्त नारियल मदरांचल पर्वत है। कलश विष्णु के समाय और उसमें भरा जल क्षीरसागर के समान है। उस पर बंधा सूत वासुकि नाग है जिससे मंथन किया गया था। यजमान और पुरोहित सुर और असुरों की तरह हैं या कहें कि मंथनकर्ता हैं। ईशान कोण में जल की स्थापना : वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण में जल की स्थापना करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। अत: मंगल कलश के रूप में जल की स्थापना करें। घर का ईशान कोण हमेशा खाली रखें और वहां पर मंगल कलश की स्थापना करें।ऐसा कहते हैं कि मंगल कलश में तांबे के पात्र में जल भरा रहता है जिससे विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। नारियल में भी जल भरा रहा है। दोनों के सम्मिलन से ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के जैसा वातावरण निर्मित होता है जो वातावरण को दिव्य बनाती है। इसमें जो कच्चा सूत बांधा जाता है वह ऊर्जा को बांधे रखकर वर्तुलाकर वलय बनाता है। इस तरह यह एक प्रकार से सकारात्मक और शांतिदायक ऊर्जा का निर्माण करता है जो धीरे धीरे संपूर्ण घर में व्याप्त हो जाती है।

कैसे रखा जाता मंगल कलश : ईशान भूमि पर रोली, कुंकुम से अष्टदल कमल की आकृति बनाकर उस पर यह मंगल कलश रखा जाता है। एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकल उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है।




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